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समाज सुधारक
ब्रह्म सभा
स्थापना- राजाराम मोहन राय
सन्- 1828
स्थान- कलकत्ता
उद्देश्य- हिन्दू समाज की बुराईयों या कुरीतियों को समाप्त करना।
- पुनर्जागरण काल का मसीहा/आधुनिक भारत का पिता- राजाराम मोहन राय - नये विचारों के कारण
- राजाराम मोहन राय- पत्रकारिता के अग्रदूत भी थे।
- उपाधि- युगदूत(सुभाष चन्द्र बोस ने दिया)
राजा राम मोहन राय के सम्बन्ध में मुख्य बातें
- जन्म - 1772
- जन्म स्थान - राधानगर(बंगाल)
- प्रसिद्ध पुस्तक - प्रीसेप्टस ऑफ जीसस(शान्ती एवं खुशहाली) > 1820 में प्रकाशित > ईसाई धर्म के लिए
- आत्मीय सभा की स्थापना - 1814-15 > कलकत्ता में
- डेविड हेअर हिन्दू कॉलेज की स्थापना - 1817 > कलकत्ता में
- पत्र - संवाद कौमुदी(बंगला भाषा) > 1821
- अखबार - मिरातुल अखबार (फारसी भाषा) > 1822
- वेदान्त कॉलेज की स्थापना - 1825 > कलकत्ता
- सती प्रथा समाप्त - धारा 17 > लार्ड विलियम वेंटिक > 1829 > राजाराम मोहन राय के सहयोग से
- ब्रह्मसभा का नाम बदलकर - ब्रह्म समाज > राजाराम मोहन राय ने रखा > 1830
- राजाराम मोहन राय को - अकबर द्वितीय ने > राजा की उपाधि देकर > इंग्लैण्ड भेजा > 1830
- राजाराम मोहन राय की मृत्यु - 1830 > ब्रिस्टल (इंग्लैण्ड)
मृत्यु के बाद
देवेन्द्र नाथ टैगोर
- तत्वबोधिनी सभा की स्थापना - 1839 > कलकत्ता
- ब्रह्म समाज को - पुनर्जीवित किया
- वेद समाज की स्थापना - > के. श्री धरालू नायडू > 1864 > मद्रास > केशव चन्द्र की प्रेरणा से
केशव चन्द्र
भारतीय ब्रह्म समाज की स्थापना - 1866 > कलकत्ता में
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