हिन्दी - न्यू चैप्टर भाषा - बोली अति महत्वपूर्ण जानकारी
भाषा - बोली में अंतर
भाषा शब्द संस्कृत शब्द के भाष् धातु से बना है।
भाषा एक साधन है अर्थात विचारों के आदान प्रदान हेतु उचित स्वरूप का प्रयोग किया जाता है उसे भाषा कहते हैं।
- यह अर्जित संपत्ति के साथ-साथ सामाजिक संपत्ति के रूप में दिखाई पड़ता है भाषा का स्वरूप परिवर्तनशील होता है।
- इसका क्षेत्र व्यापक है।
- जबकि बोली का क्षेत्र भाषा की अपेक्षा सीमित होता है।
- बोली का स्वरूप क्षेत्रीयता के आधार पर निर्धारित है अतः बोली का प्रयोग साहित्य के अंतर्गत नहीं होता जबकि भाषा का प्रयोग साहित्य में होता है।
- हिंदी भाषा का संबंध भारोपीय परिवार से लगाया गया है।
हिंदी भाषा का विकास
संस्कृत - पालि - प्राकृति - अपभ्रंश - हिंदी
हिन्दी भारोपीय परिवार की भाषा है इसके अंतर्गत 4 भारोपीय परिवार हैं। और इनका क्षेत्र प्रतिशत में।
- भारोपीय - 73%
- द्रविड़ - 25%
- ऑस्ट्रिक - 1.3%
- चीनी तिब्बती - 0.7%
हिंदी की शाखा एवं उपशाखा
शाखा : भारतीय ईरानी
उपशाखा : भारतीय आर्य
आर्य भाषा
हिंदी भाषा का विकास और भाषा से शुरू हुआ है।
आर्य भाषा को तीन भागों में बांटा गया है।
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा
- समय 1500 ईसा.पूर्व से 500 ईसा पूर्व/2000ई.र्पू.
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा
- समय 500 ईसा पूर्व से 1000 ईसवी
- आधुनिक भारतीय आर्य भाषा
- समय 1000 ईस्वी से अब तक
1.प्राचीन भारतीय आर्य भाषा
- वैदिक संस्कृत - 1500ई.र्पू. - 1000ई.र्पू. - वेद, उपनिषद, स्मृति ग्रंथ
- लौकिक संस्कृत - 1000ई.र्पू. - 500ई. - रामायण, महाभारत, गीता
2. मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा
- पालि - भगवान बुद्ध - 500ई.र्पू. - 1 ई.
- प्राकृत - भगवान महावीर - 1 ई. - 500ई.
- अपभ्रंश - शूरसेन प्रदेश - 500ई. - 1000 ई.
3.आधुनिक भारतीय आर्य भाषा
- समय 1000 ईसवी से अब तक
- इसके अंतर्गत सात अपभ्रंश हैं।
- शौरसेनी अपभ्रंश
- अर्द्धमागधी अपभ्रंश
- मागधी अपभ्रंश
- खश अपभ्रंश
- पैशाची अपभ्रंश
- ब्राचड अपभ्रंश
- महाराष्ट्रीय अपभ्रंश
इन सात अपभ्रंश के अंतर्गत कुल 13 उपभाषाएं हैं
1.शौरसेनी अपभ्रंश
1.पश्चिमी हिंदी, 2.राजस्थानी हिंदी, 3.गुजराती हिंदी
2.अर्धमगधी अपभ्रंश
1.पूर्वी हिंदी
3.मागधी अपभ्रंश
1.बिहारी, 2.बांग्ला, 3.उड़िया, 4.असमिया
4.खस अपभ्रंश
1.पहाड़ी हिंदी
5.पैशाची अपभ्रंश
1.पंजाबी, 2.लंहदा
6.ब्राचड अपभ्रंश
1.सिंधी
7.महाराष्ट्री अपभ्रंश
1.मराठी
कुल 13 उपभाषाओं [मुख्य 5 उपभाषाएं] के अंतर्गत 18 बोलियां हैं
मुख्य रूप से 5 उपभाषाएं
1. पश्चिमी हिंदी
- खड़ी बोली (कौरवी)
- ब्रजभाषा
- बुंदेली
- कन्नौजी
- हरियाणवी (बांगरू)
2.राजस्थानी हिंदी
- जयपुरी (ठूडाढी) - पू्र्वी भाग
- मारवाड़ी (हाड़ौती) - पश्चिमी भाग
- मेवाती (अहीरवाटी) - उत्तरी भाग
- मालवीय - दक्षिणी भाग
3.पूर्वी हिंदी
- अवधी
- बघेली
- छत्तीसगढ़ी
4.बिहारी हिंदी
- मैथिली
- मगही
- भोजपुरी
5.पहाड़ी हिंदी
- कुमायनी
- गढ़वाली
- नेपाली
7 अपभ्रंश के अंतर्गत कुल 13 उपभाषाएं एवं 18 बोलियाँ हैं, जो उपर्युक्त हैं।
आधुनिक भारतीय आर्य भाषा को तीन भागों में बांटा गया है।
1.प्राचीन हिंदी - 1100ई. - 1400ई.
2.मध्यकालीन हिंदी - 1400ई. - 1850ई.
3.आधुनिक हिंदी - 1850ई. - वर्तमान में
नोट - उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से 2 उपभाषा और 8 बोलियां हैं।
1. पश्चिमी हिंदी
2.पूर्वी हिंदी
उत्तर प्रदेश के अंतर्गत मुख्य रूप से दो उपभाषा एवं आठ बोलियों का स्वरूप दिखाई पड़ता है।
- संस्कृत,मराठी,नेपाली और हिंदी - देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
- सरस्वती पत्रिका के संपादक - महावीर प्रसाद द्विवेदी।
- देवनागरी लिपि का विकास - ब्राह्मी लिपि।
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