Type Here to Get Search Results !

पर्यावरण एवं मानव के मध्य संबंध UPTET, CTET,STET की परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक

पर्यावरण एवं मानव के मध्य संबंध


1. आखेटक काल/शिकारी काल/आदिमानव काल कारक पाता - दाता
2. पशुपालन काल रूपांतर करता या सहायक सामाजिक मानव
3. कृषि काल परिवर्तन काल आर्थिक मानव
प्रौद्योगिकी मानव विध्वंसक या विनाशकर्ता प्रौद्योगिकी मानव
SUBSCRIBE NOWON YOUTUBEPAREEKSHA24

  • आखेटक काल : इसे शिकारी काल और आदिमानव काल के नाम से भी जाना जाता है इस काल में मनुष्य अन्य जीव-जंतुओं की भांति पर्यावरण का एकमात्र कारण था इसलिए इसका पर्यावरण के साथ कारक संबंध बना इस काल का मनुष्य अपनी सभी जरूरतों को पर्यावरण से प्राप्त करता था।
  • पशुपालन काल : यह पर्यावरण का दूसरा काम है इस काल में मनुष्य सर्वप्रथम समूह में रहना प्रारंभ किया था इस काल के मानव को उसके पर्यावरण के साथ रूपांतर करता या सहायक का संबंध बना समूह में रहने के कारण इन्हें सामाजिक मानव कहा गया।
  • कृषि काल : यह पर्यावरण का तीसरा कारण है, इस काल के साथ में मनुष्य सर्वप्रथम पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करना प्रारंभ किया। तथा इस काल के मानव का उसके पर्यावरण के साथ परिवर्तन करता का संबंध बना। इस काल में मनुष्य आजीविका के साधन को जुटाने का मुख्य कार्य कर रहा था इसीलिए इसे आर्थिक मानव की संख्या प्रदान की गई।
  • प्रौद्योगिकी काल : यह पर्यावरण का वर्तमान काल है इस काल में मनुष्य अपने जीवन को आसान बनाने के लिए मशीनरी यानी मशीनीकरण के दिशा में तीव्र गति से आगे की ओर बढ़ा तथा इस काल के मानव का उसके पर्यावरण के साथ विध्वंसक या विनाशक का संबंध बना है।
पर्यावरण की अवधारणाएं
🔹इसकी तीन अवधारणाएं हैं
  1. नियतवादी अवधारणा - प्रकृत
  2. संभववादी अवधारणा - मानव विज्ञान
  3. नव नियत वादी अवधारणा - संतुलन स्थापित करना मानव एवं प्रकृति के मध्यस्थ
  •     नियत वादी अवधारणा - प्रकृति सर्वशक्तिमान है और मनुष्य उसके हाथ का खिलौना इस नियत वादी की अवधारणा है।
    • प्रकृति श्रेष्ठ है मनुष्य गौण है।
    • पूर्णता प्रकृति केंद्रित मानी जाती है।
    • इसे पर्यावरण उपागम भी कहा जाता है।
    • मनुष्य का जन्म पृथ्वी से हुआ है।
  •  संभववादी अवधारणा - पूर्णता मानव केंद्रित मानी जाती है।
    •  मनुष्य सर्वश्रेष्ठ है प्रकृति गौण है।
    • मनुष्य परिवर्तनशील है। 
    • प्रकृति का सक्रिय अंग है।
    • प्रकृति के प्रत्येक पहलू में परिवर्तन कर सकता है।
    •  यह अवधारणा प्रयोगवाद और विज्ञान वाद पर बल प्रदान करती है।
    • मनुष्य पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर चुका है।
  • नवनियतवादी अवधारणा - यह अवधारणा उपयुक्त दोनों अवधारणाओं की श्रेष्ठा को अस्वीकार कर दिया है।
    • प्रकृति और मनुष्य के मध्य संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है।
    • मनुष्य को प्रकृति में परिवर्तन करना चाहिए परंतु प्रकृत नकारात्मक रूप से प्रभावी होने लगे तो मनुष्य को प्रकृति के अनुसार हो जाना चाहिए
    • यह अवधारणा सतत विकास या धारणीय विकास पर बल प्रदान करती है।
  • पारिस्थितिकी अवधारणा - प्रकृति को श्रेष्ठ माना गया है परंतु मनुष्य को प्रकृति का ही एक अंग माना गया है।
    • मनुष्य को परिवर्तन का अवसर प्रकृति प्रदान करती है।
    • समाज की स्थिरता पर बल प्रदान करता है।
 न्यू चैप्टर पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें
पारिस्थितिकी [ECOLOGY]

दोस्तों यह पोस्ट आपको कैसा लगा क्या यह जानकारी आपको महत्वपूर्ण लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और ऐसे ढेरों सारे महत्वपूर्ण तथ्य महत्वपूर्ण चैप्टर पढ़ने के लिए आप हमारे ब्लॉक को अभी सब्सक्राइब करें हमारे वेबसाइट को बगल में दिए गए बटन वालों पर क्लिक करके हमें फॉलो करें और हमारे यूट्यूब चैनल परीक्षा 24 को अभी युटुब चैनल सब्सक्राइब करें और साथ में बैल आइकन के बटन को भी पेश करें जिससे हमारी जितनी भी नई वीडियो आएं आप लोगों तक सबसे पहले पहुंचे आशा करते हैं यह पोस्ट आपको बहुत उपयोगी साबित होगी और आपको बहुत अच्छी लगी होगी आप अपने परीक्षा में बेहतरीन इसको पाने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल परीक्षा 24 को अभी ट्यूशन पर सब्सक्राइब करें और साथ में इस वेबसाइट को समय-समय पर विजिट करते रहे जिससे आपको फ्री ट्यूशन फ्री कोचिंग नोट्स प्रोवाइड करा सकूं अगर आप लोग फ्री योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें और बगल में दिए गए फॉलो बटन पर क्लिक करके हमें फॉलो करें हमें नीचे दिए गए सोशल मीडिया पर भी फॉलो कर सकते हैं मिलते हैं अगले पोस्ट में तब तक ले जाए मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.